Archiradi Marga Nepali Translation . अर्चिरादी मार्ग नेपाली भाषा अनुवाद
Shri Vaishnavas Archiradi Marga Nepali
“अर्चिरादि मार्ग” का वर्णन वैष्णव दर्शन में मोक्ष के बाद की यात्रा के संदर्भ में किया गया है। इस मार्ग को विशेष रूप से भगवद गति (भगवान की ओर की यात्रा) के संदर्भ में समझा जाता है।
Language: Sanskrit
Publisher:
Published Date:
Size: 2.6MB
Pages: 75
Author: Shri Vaishnavasacharya
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भोग विभूति (त्रिपाद विभूति):
भोग विभूति भगवान की वह विभूति है जिसमें नित्य जीव (सदैव रहने वाले जीव) और मुक्त जीव (मोक्ष प्राप्त जीव) निवास करते हैं। इसमें महालक्ष्मी और भगवान नारायण स्वयं स्थित होते हैं।
यह विभूति शाश्वत और दिव्य होती है, जिसमें भक्तिपथ पर चलने वाले जीव भगवान की इच्छा और आज्ञा के अनुसार रहते हैं। ये जीव भगवान की इच्छाओं और संकल्पों से पूर्ण रूप से परिचित होते हैं और उनके अनुसार कार्य करते हैं।
लीला विभूति:
लीला विभूति वह विभूति है जिसमें बद्ध जीव (जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसे हुए जीव) स्थित होते हैं।
ये जीव अल्पज्ञ होते हैं और भगवान की इच्छाओं और संकल्पों को सही ढंग से नहीं समझ पाते। अतः भगवान इन जीवों को उनके संकल्प के अनुसार मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
आल्वार की सूक्ति का अभिप्राय:
आल्वार की इस सूक्ति का अभिप्राय है कि भोग विभूति में स्थित मुक्त जीव और भगवान की आज्ञा के अनुसार कार्य करते हैं, क्योंकि वे दिव्य और पूर्ण ज्ञान वाले होते हैं।
इसके विपरीत, लीला विभूति में स्थित जीव भगवान की इच्छाओं को जानने में असमर्थ होते हैं, इसलिए भगवान उन्हें उनकी स्थिति के अनुसार मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रदान करते हैं।
इस प्रकार, भोग विभूति और लीला विभूति के बीच का अंतर यह है कि भोग विभूति में स्थित जीव भगवान की पूर्ण इच्छा और संकल्प से अवगत होते हैं, जबकि लीला विभूति में स्थित जीव इसके प्रति असमर्थ होते हैं और भगवान उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।