Dhyan Mntrah | ध्यान मन्त्र PDF
ध्यान मन्त्रा:
ध्यानम्, स्वस्ति वचनम्, नित्य श्लोकः, परब्रह्म प्रातः स्मरणम्, सरस्वती प्रार्थना, विघ्नेश्वर प्रार्थना
प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रातःकालीन दिनचर्या का विशेष महत्व है। यह दिनचर्या मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने में सहायक होती है। ध्यानम्, स्वस्ति वचनम्, नित्य श्लोकः, परब्रह्म प्रातः स्मरणम्, सरस्वती प्रार्थना और विघ्नेश्वर प्रार्थना इस दिनचर्या के अभिन्न अंग हैं। इनका उद्देश्य मनुष्य को आंतरिक शांति, ज्ञान और सफलता प्रदान करना है। आइए, इनके महत्व और उद्देश्य को समझें।
1. ध्यानम् (ध्यान)
ध्यान आत्मचिंतन और आत्मसाक्षात्कार का मार्ग है। प्रातःकाल शांत मन से ध्यान करने से मनुष्य का मन एकाग्र होता है और वह आंतरिक शांति प्राप्त करता है। ध्यान के माध्यम से मनुष्य अपने अस्तित्व के मूल को समझता है और परमात्मा के साथ तादात्म्य स्थापित करता है।
महत्व:
मन की एकाग्रता बढ़ती है।
तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
2. स्वस्ति वचनम् (मंगल कामना)
स्वस्ति वचनम् मंगल और कल्याण की कामना करने वाले मंत्र हैं। यह समाज और विश्व के कल्याण की भावना को व्यक्त करता है। प्रातःकाल स्वस्ति वचनम् का पाठ करने से मनुष्य के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
प्रसिद्ध स्वस्ति वचनम्:
“ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥”
महत्व:
मंगल और शांति की कामना।
सकारात्मक विचारों का प्रसार।
3. नित्य श्लोकः (दैनिक श्लोक)
नित्य श्लोकः वे श्लोक हैं जो प्रतिदिन पाठ किए जाते हैं। ये श्लोक जीवन के गहन सत्यों को समझाते हैं और मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
उदाहरण:
“असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय॥”
महत्व:
जीवन के उच्च आदर्शों की प्राप्ति।
आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार।
4. परब्रह्म प्रातः स्मरणम् (परमात्मा का स्मरण)
प्रातःकाल परब्रह्म का स्मरण करने से मनुष्य का मन पवित्र होता है और उसे आत्मबल प्राप्त होता है। यह स्मरण मनुष्य को दिनभर की गतिविधियों के लिए तैयार करता है।
महत्व:
परमात्मा के साथ जुड़ाव का अनुभव।
मन की पवित्रता और शुद्धता।
5. सरस्वती प्रार्थना (ज्ञान की देवी की प्रार्थना)
सरस्वती प्रार्थना ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। यह प्रार्थना विद्यार्थियों और ज्ञानार्थियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
प्रसिद्ध सरस्वती प्रार्थना:
“या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥”
महत्व:
बुद्धि और ज्ञान का विकास।
मन की एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि।
6. विघ्नेश्वर प्रार्थना (गणेश जी की प्रार्थना)
विघ्नेश्वर प्रार्थना भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता हैं। किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पहले गणेश जी की प्रार्थना की जाती है ताकि सभी बाधाएं दूर हों और कार्य सफल हो।
प्रसिद्ध गणेश प्रार्थना:
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
महत्व:
कार्यों में सफलता प्राप्ति।
बाधाओं और विघ्नों का निवारण।
Category: | Mntrah |
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Language: | Sanskrit |