Jutho Sutak Nirnaya Nepali | जुठो सुतक निर्णय नेपाली भाषा में PDF

Jutho Sutak Nirnaya
(जुठो सुतक निर्णय)

Jutho Sutak Nirnaya | जुठो सुतक निर्णय नेपाली भाषा में

हिंदू धर्मशास्त्र और परंपराओं में जूठा और सूतक का विशेष महत्व है। यह सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक है। जूठा (अपवित्रता) उस स्थिति को कहते हैं जब कोई व्यक्ति या वस्तु पवित्रता से विचलित हो जाती है। सूतक, विशेष रूप से परिवार में जन्म या मृत्यु के समय मान्य अपवित्रता को दर्शाता है।

Language: Nepali

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Author: Unkown

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जूठा और सूतक का महत्व

हिंदू धर्मशास्त्र और परंपराओं में जूठा और सूतक का विशेष महत्व है। यह सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक है। जूठा (अपवित्रता) उस स्थिति को कहते हैं जब कोई व्यक्ति या वस्तु पवित्रता से विचलित हो जाती है। सूतक, विशेष रूप से परिवार में जन्म या मृत्यु के समय मान्य अपवित्रता को दर्शाता है।

जूठा (अपवित्रता)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोजन, पूजा और धार्मिक कार्यों में शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है। यदि कोई अपवित्र वस्तु छू ली जाए या अशुद्ध स्थिति उत्पन्न हो जाए तो हाथ-मुंह धोने या स्नान करने की परंपरा है। जूठा न मानना धार्मिक अनुशासन का उल्लंघन माना जाता है।

सूतक (जन्म और मृत्यु की अपवित्रता)
सूतक दो प्रकार का होता है:

जन्म सूतक: परिवार में बच्चे के जन्म पर 11 दिनों तक सूतक माना जाता है। इस दौरान धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ नहीं किए जाते।
मृत्यु सूतक: परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु पर 10 से 13 दिनों तक सूतक रहता है। इस दौरान धार्मिक कार्य वर्जित रहते हैं।
सूतक समाप्ति की प्रक्रिया
सूतक की समाप्ति के लिए विशेष धार्मिक प्रक्रिया अपनाई जाती है। शुद्धिकरण के लिए स्नान करना अनिवार्य है। ब्राह्मणों को भोजन कराना, तर्पण और दान देना शुभ माना जाता है। इससे पितरों की शांति और घर की शुद्धता सुनिश्चित होती है।

समाज में महत्व
जूठा और सूतक का पालन धार्मिक अनुशासन और सामाजिक शुद्धता बनाए रखने के लिए किया जाता है। यह मान्यता व्यक्तिगत स्वच्छता, मानसिक शांति और सामाजिक अनुशासन को बढ़ावा देती है। धार्मिक परंपराओं का यह महत्वपूर्ण हिस्सा समाज में अनुशासन और पवित्रता का मार्ग प्रशस्त करता है।

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