Prayaschitta Prakash | प्रायश्चित प्रकाश संस्कृत PDF

 

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Prayaschitta Prakash | प्रायश्चित प्रकाश संस्कृत

यह पाठ प्रायश्चित्त (पापों के शुद्धिकरण) के महत्व को समझाता है। अंगिरा ऋषि के अनुसार प्रायश्चित्त तप के समान है जो पाप नष्ट करता है। इसमें ब्रह्महत्या, सुरापान, चोरी जैसे पापों का उल्लेख है। श्रीमद्भागवत के अनुसार प्रायश्चित्त के बिना व्यक्ति को अगले जन्मों में कष्ट उठाने पड़ते हैं।

Language: Sanskrit
Publisher: Khemraj Shri Krishna Das
Published Date: 2000
Size: 74MB
Pages: 110
Author: Chaturthi Lal Sharma
Source: Link

यह पाठ प्रायश्चित्त (पापों के निवारण) के विषय में है। इसमें धर्मशास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि मनुष्य कैसे अपने पापों का प्रायश्चित्त कर सकता है। प्राचीन काल में ऋषियों द्वारा स्थापित नियम युग के अनुसार बदलते हैं। कलियुग में कमजोर मानसिकता वाले लोगों के लिए सरल प्रायश्चित्त विधियाँ दी गई हैं। अंगिरा ऋषि के अनुसार प्रायश्चित्त तप के समान है, जो पापों को नष्ट करता है। पाठ में ब्रह्महत्या, सुरापान, सुवर्ण चोरी जैसे पापों का उल्लेख किया गया है। श्रीमद्भागवत के अनुसार प्रायश्चित्त के बिना व्यक्ति अगले जन्मों में कष्ट भोगता है।

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