Prayuktaa Khyata Manjari | प्रयुक्ताख्यात मञ्जरी PDF

Prayuktakhyata Manjari | प्रयुक्ताख्यात मञ्जरी

यह ग्रन्थ थील रूपगोस्वामीपाद द्वारा रचित है और यह भट्टमल द्वारा रचित ‘आख्यात-बन्द्रिका’ का संक्षिप्त संस्करण है। इस ग्रन्थ में साहित्य में प्रयुक्त आस्यात (क्रियाओं) का संग्रह है। यह ग्रन्थ तीन काण्डों (अध्यायों) में विभाजित है, जिनमें विभिन्न वर्गों में क्रियाओं का वर्णन किया गया है।

Language: Sanskrit

Publisher: Haridas Shastri

Published Date: 1090

Size: 26.6MB

Pages: 26

Author: Haridas Shastri

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ग्रन्थ के आरंभ में भट्टमल का नाम उल्लेखित है और कुछ श्लोकों के माध्यम से ग्रन्थ की महत्ता को दर्शाया गया है। ग्रन्थ के अंत में यह उल्लेख है कि यह ग्रन्थ विद्वानों द्वारा सेव्य (पठनीय) है। इस विज्ञप्ति में श्रीचैतन्यदेव के मत का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें विश्वजनीन प्रेमधर्म को परम पुरुषार्थ माना गया है। श्रीरूपगोस्वामी, श्रीसनातन, श्रीरघुनाथ भट्ट, श्रीगोपालभट्ट, श्रीरघुनाथदास और श्रीजीवगोस्वामी जैसे गोस्वामियों का नाम भी इसमें उल्लेखित है, जो श्रीचैतन्यदेव के प्रचार कार्य में लगे हुए थे। श्रीरूपगोस्वामी का जन्म कर्णाट प्रदेश के यजुर्वेदीय भरद्वाज गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे गौड़ के बादशाह हुसैन शाह के विशिष्ट आमात्य थे, लेकिन बाद में उन्होंने सांसारिक विषयों का त्याग कर श्रीचैतन्यदेव के श्रीचरणों में आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने श्रीवृन्दावन के तीर्थों का उद्धार किया और श्रीगोविन्ददेव की सेवा का प्रवर्तन किया। श्रीरूपगोस्वामी ने ‘विदग्धमाधव’ और ‘ललितमाधव’ नामक दो नाटकों की रचना की, जिनमें ब्रजलीला और पुरलीला का वर्णन किया गया है। ये नाटक ब्रज-विरह के प्रशमन के लिए रचे गए थे।

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