Ramanand Sampradaya Tatha Hindi Sahitya Par Uska Prabhav | रामानन्द सम्प्रदाय तथा हिन्दी सहित्य पर उसका प्रभाव pdf
“Ramanand Sampradaya “
रामानन्द सम्प्रदाय तथा हिन्दी सहित्य पर उसका प्रभाव pdf
Ramanand Sampradaya Tatha Hindi Sahitya Par Uska Prabhav PDF
रामानन्द-सम्प्रदाय मध्यकालीन भारत के भक्ति आंदोलन का एक प्रमुख अंग रहा है, जिसका प्रभाव न केवल धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में बल्कि हिन्दी साहित्य में भी व्यापक रूप से परिलक्षित होता है। रामानन्द स्वामी ने भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी, जिसमें जाति, पंथ और लिंग से ऊपर उठकर ईश्वर के प्रति समर्पण का मार्ग प्रशस्त किया गया। उनके अनुयायियों में संत कबीर, संत रैदास, संत धन्ना, संत पीपा जैसे महान संतों का उल्लेखनीय योगदान है।
Language: Hindi
Publisher: Hindi Prayag University
Published Date: AD 1963
Size: 42MB
Pages: 565
Author: Dr. Badrinarayan Shreevastav
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रामानन्द-सम्प्रदाय ने हिन्दी साहित्य को भक्ति रस से भरपूर बनाया। इसके प्रभाव से निर्गुण और सगुण भक्ति काव्य का विकास हुआ। संत कबीर की साखियाँ और पद, रैदास के भक्ति गीत, और मीरा के प्रेमपूर्ण पद साहित्यिक दृष्टि से उत्कृष्ट और जनसाधारण के लिए अत्यंत प्रेरणादायक हैं। इस सम्प्रदाय के साहित्य में ईश्वर की भक्ति, सामाजिक समानता, और आडंबर-विरोधी दृष्टिकोण को प्रमुखता से अभिव्यक्त किया गया है। इस अध्ययन का उद्देश्य रामानन्द-सम्प्रदाय के आदर्शों और उनके साहित्य पर पड़ने वाले प्रभावों को विश्लेषित करना है। डॉ० बद्रीनारायण श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत यह प्रबंध हिन्दी साहित्य में भक्ति आंदोलन के प्रभाव और उसकी विशेषताओं को गहराई से समझने का प्रयास है। यह अध्ययन हिन्दी साहित्य में रामानन्द-सम्प्रदाय के योगदान को रेखांकित करते हुए इसकी सांस्कृतिक और सामाजिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डालता है।