Rasmanjari of Shree Shalinath | रसमञ्जरी PDF
Rasmanjari Hindi sanskrit .
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रसमञ्जरी
Rasmanjari of Shree Shalinath | मूलसंस्कृतसंहिता संशोधितपाठभेदपादसूचीसंवलिता – रसमञ्जरी
यह ग्रंथ न केवल प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति की महानता को प्रदर्शित करता है, बल्कि आधुनिक विज्ञान के लिए भी प्रेरणा और अनुसंधान का आधार प्रदान करता है।
Language: Sanskrit
Publisher: eBook Publication Pvt. Ltd.
Published Date: AD 2019
Size: 5.1MB
Pages: 297
Author: Shree Shalinath, Editor- Dr Nilesh Josi
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आयुर्वेद एक बहुआयामी विज्ञान है जो उपचार में जटिल औषधीय संयोजनों का उपयोग करता है। रसशास्त्र, औषधि विज्ञान, मुख्य रूप से पारे (पारद), धातुओं और खनिजों के प्रसंस्करण और उनके चिकित्सीय उपयोग से संबंधित है। रस मंजरी प्राचीन भारतीय रसशास्त्र पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे लगभग 15वीं शताब्दी ईस्वी में श्री शालिनाथ द्वारा रचित माना जाता है। इस ग्रंथ पर दो भाष्य (टीकाएँ) उपलब्ध हैं। इस ग्रंथ में कुल 862 श्लोक हैं, जो 10 अध्यायों में विभाजित हैं। इसमें धातुवाद (नीच धातुओं को उच्च धातुओं में परिवर्तित करना) और देहवाद (पारे और अन्य धातुओं व खनिजों का चिकित्सीय उपयोग) का विस्तृत वर्णन है। यह पुस्तक पांडुलिपियों और उपलब्ध प्रकाशित संस्करणों के आधार पर आलोचनात्मक रूप से संपादित की गई है। इसमें आलोचनात्मक टिप्पणियाँ, पाठभेद, और विभिन्न प्रकार के अनुक्रमण (इंडेक्स) भी जोड़े गए हैं।