Rishi Panchami Vrata Udyapan Vidhi tatha Vrata Katha Free PDF Download Of sanskrit Ebooks | ऋषि पञ्चमी व्रत, कथा एवं उद्यापन पुस्तक का डाउनलोड करे मुफ्त मे पिडिएफ़
Rishi Panchami Vrata Udyapan Vidhi tatha Vrata Katha Free PDF
ऋषि पञ्चमी व्रत हिन्दू धर्म में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि को मनाया जाता है और इसे विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा रखा जाता है जो अपने पूर्व जन्म या इस जन्म में जाने-अनजाने में किए गए किसी भी प्रकार के पापों से मुक्ति पाना चाहती हैं। इस व्रत में सप्तऋषियों की पूजा की जाती है, जिन्हें हिन्दू धर्म में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र और सृष्टि के प्रथम ऋषि माना जाता है।
Language: Sanskrit Hindi
Publisher: Manav VikAS Foundation
Published Date: 4.9.2021
Size: 1.2MB
Pages: 39
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ऋषि पञ्चमी व्रत कथा
ऋषि पञ्चमी व्रत से जुड़ी प्रमुख कथा इस प्रकार है:
प्राचीन समय में एक ब्राह्मण था जिसकी पत्नी बहुत धार्मिक और पतिव्रता थी। उनके एक पुत्री थी जिसका विवाह एक अच्छे ब्राह्मण परिवार में हुआ था। दुर्भाग्यवश, उनके पति की मृत्यु हो गई और वह विधवा हो गई। कुछ समय बाद उसे चर्म रोग हो गया, जिससे उसके शरीर पर अनेक कष्ट होने लगे।
उसकी माँ ने उसकी इस हालत को देखकर एक ऋषि से इसके कारण के बारे में पूछा। ऋषि ने बताया कि उसकी पुत्री ने अपने पिछले जन्म में अज्ञानवश रजस्वला अवस्था में भोजन पकाने और खाने का पाप किया था, जिसके कारण उसे इस जन्म में ये कष्ट सहने पड़ रहे हैं।
ऋषि ने यह भी बताया कि यदि वह ऋषि पञ्चमी का व्रत पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक करेगी, तो उसके सभी पापों का नाश हो जाएगा और उसे पुनः स्वस्थ जीवन प्राप्त होगा।
इस व्रत को करने से ब्राह्मण की पुत्री के सारे पाप नष्ट हो गए और उसे चर्म रोग से मुक्ति मिल गई। तब से यह व्रत महिलाएं विशेष रूप से करती हैं, जिससे उनके जीवन में शांति, सुख, और पापमुक्ति की प्राप्ति हो।
ऋषि पञ्चमी व्रत विधि
व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
सप्तऋषियों की पूजा का संकल्प लें।
पूजा के स्थान पर एक पटरे पर सप्तऋषियों की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
सप्तऋषियों के लिए धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पुष्प आदि से पूजा करें।
पूजा के दौरान ऋषि पञ्चमी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
दिनभर व्रत रखें और सायं काल में सप्तऋषियों की पुनः पूजा करके फलाहार ग्रहण करें।
उद्यापन विधि
जब कोई व्यक्ति कई वर्षों तक ऋषि पञ्चमी का व्रत करता है, तो वह उद्यापन (व्रत का समापन) करने का संकल्प ले सकता है। उद्यापन की विधि इस प्रकार है:
उद्यापन के दिन भी प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
सप्तऋषियों का आह्वान करके उनका विशेष पूजन करें।
व्रत कथा का श्रवण एवं पाठ करें।
व्रत रखने वाले ब्राह्मणों और व्रती महिलाओं को भोजन कराएं और दक्षिणा प्रदान करें।
संभव हो तो व्रत के अवसर पर एक यज्ञ का आयोजन करें।
अंत में ब्राह्मणों और अन्य श्रद्धालुओं को दान-दक्षिणा देकर व्रत का उद्यापन करें।
उद्यापन के पश्चात व्रती अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान कर सकते हैं, जो उनके व्रत का समापन करता है और इसे फलदायी बनाता है।