Samrat Vikramaditya Aur Unke Navaratna । सम्राट् विक्रामादित्य और उनके नवरत्न PDF
Samrat Vikramaditya Our Unke Navaratna
सम्राट् विक्रामादित्य और उनके नवरत्न
Samrat Vikramaditya Aur Unke Navaratna । सम्राट् विक्रामादित्य और उनके नवरत्न PDF
पंडित ईशदत्त शास्त्री ‘श्रीश’, जो साहित्यदर्शनाचार्य और साहित्यरत्न थे, ने फरवरी 1944 में इस विषय पर लेख प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, नवरत्नों की विद्वता ने सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल को केवल राजनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और शैक्षिक रूप से भी समृद्ध किया। इन विद्वानों ने भारतीय संस्कृति के हर पहलू को प्रभावित किया, और उनकी उपलब्धियां आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
Language: Sanskrit
Publisher: Harsha Bardhan Shukla – Matri Bhasha Mandir Dara Gunja
Published Date: BS 1944
Size: 16.3MB
Pages: 240
Author: P. Ishwar Datta Shastree
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सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) में माना जाता है। वे अपनी वीरता, उदारता और विद्वानों को संरक्षण देने के लिए विख्यात थे। उनकी कथाएं ‘सिंहासन बत्तीसी’ और ‘वेताल पंचविंशति’ में मिलती हैं। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने विक्रम संवत् (57 ई.पू.) की शुरुआत की।