Shukla Yajurvediya Savidhi Rudrashtadhyayi | शुक्ल यजुर्वेदीय सविधि रुद्राष्टाध्यायी PDF
Shukla Yajurvediya Savidhi Rudrashtadhyayi
शुक्ल यजुर्वेदीय सविधि रुद्राष्टाध्यायी (Shukla Yajurvediya Savidhi Rudrashtadhyayi) एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है, जो यजुर्वेद के शुक्ल शाखा से संबंधित है। यह ग्रंथ विशेष रूप से रुद्राष्टाध्यायी (Rudrashtadhyayi) को प्रस्तुत करता है, जो भगवान शिव के 8 (आठ) अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्रों का संग्रह है।
Publisher: Nath Pustak Bhandar Dehli
Published Date:
Size: 22.5MB
Pages: 218 Pages
Author: P. Shree Veni Ram Sharma
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यजुर्वेद: यह हिन्दू वेदों में से एक है, जो मुख्य रूप से कर्मकांड, यज्ञ विधि और पूजा-पाठ से संबंधित है। यजुर्वेद की दो प्रमुख शाखाएँ हैं – शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद। शुक्ल यजुर्वेद में यज्ञों के लिए उपयोगी मंत्रों का संग्रह है।
रुद्राष्टाध्यायी: यह भगवान शिव के आठ मंत्रों का संग्रह है, जो भगवान शिव की उपासना, उनकी महिमा और कृपा प्राप्ति के लिए जप किए जाते हैं। यह मंत्र शिव की आठ विशेषताओं (रुद्र) की स्तुति करते हैं और शिव को प्रसन्न करने का महत्वपूर्ण साधन माने जाते हैं।
सविधि: सविधि शब्द का अर्थ है विधिपूर्वक या निश्चित प्रक्रिया के अनुसार। यह विशेष रूप से उन विधियों और रिवाजों को संदर्भित करता है, जो इस ग्रंथ में वर्णित पूजा और यज्ञों को सही तरीके से करने के लिए निर्धारित हैं।
उद्देश्य: इस ग्रंथ का उद्देश्य भगवान शिव की पूजा विधियों को सही रूप से करना है, ताकि भक्त शिव के आशीर्वाद से समृद्धि, शांति, और मोक्ष प्राप्त कर सकें। रुद्राष्टाध्यायी के मंत्र विशेष रूप से शिव के रौद्र रूप की पूजा के लिए होते हैं, जिनसे समस्त दोषों और कष्टों का निवारण होता है। इस ग्रंथ का
महत्व: यह हिंदू धर्म के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो भगवान शिव की उपासना करते हैं। इसे धार्मिक अनुष्ठानों, यज्ञों और विशेष पूजा विधियों में पढ़ा जाता है। यह ग्रंथ शिव भक्तों के बीच पवित्र माना जाता है और विशेष रूप से काशी विश्वनाथ जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों से जुड़ा हुआ है।