Antya Karma Shraddha Prakash | अन्त्य कर्म श्राद्ध प्रकाश PDF

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Antya Karma Shraddha Prakash

अन्त्य कर्म श्राद्ध प्रकाश

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, अन्त्येष्टि एवं श्राद्ध के विधिपूर्वक संकलन पर आधारित विशिष्ट ग्रंथ।

Language: Hindi, Sanskrit

Publisher: Geeta Press, Gorakhpur

Year of Publication: B.S. 2066

File Size: 333.7 MB

Total Pages: 442

Author(s): पं. श्रीजोशनरामजी पाण्डेय ‘अग्निहोत्री’, पं. श्रीलालबिहारीजी मिश्र, पं. श्रीरामकृष्णजी शास्त्री

Source: Internet Archive

जानने योग्य आवश्यक बातें

➤ श्राद्ध की परिभाषा:

पितरों के उद्देश्य से विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहते हैं। “श्रद्धया इदं श्रद्धम्”। यही पितृयज्ञ कहलाता है, जिसका वर्णन मनुस्मृति, पुराणों और अन्य ग्रंथों में मिलता है।

➤ महर्षियों की दृष्टि से श्राद्ध:

  • महर्षि पराशर: तिल, कुश और मंत्रों द्वारा विधिपूर्वक श्रद्धापूर्वक किया गया कर्म ही श्राद्ध है।
  • महर्षि बृहस्पति व पितृतत्त्व अनुसार: उत्तम व्यंजन को श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को देना ही श्राद्ध है।
  • ब्रह्मपुराण: देश, काल, पात्र के अनुसार ब्राह्मण को पितरों के उद्देश्य से दिया गया अन्न ही श्राद्ध है।

➤ श्राद्धकर्ता का कल्याण:

जो श्रद्धा से विधिपूर्वक श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।

स्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम्।
तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद्विचक्षणः॥

➤ श्राद्ध के फल:

श्राद्ध से आयु, संतान, धन, विद्या, राज्य, सुख, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आयुः प्रजां धनं विद्यां स्वर्ग मोक्षं सुखानि च।
प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितरः श्राद्धतर्पिताः॥
— मार्कण्डेय पुराण

➤ श्राद्ध न करने से हानि:

जो श्राद्ध नहीं करता, उसके पितर भूख-प्यास से पीड़ित होते हैं और वे शाप भी देते हैं। उस परिवार को पुत्र नहीं मिलता, दीर्घायु नहीं होती, कष्ट और रोग लगते हैं।

शास्त्र कहता है: “देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम्” — देवता और पितरों के कार्यों में प्रमाद नहीं करना चाहिए।

➤ निष्कर्ष:

श्राद्ध मात्र परंपरा नहीं, यह एक महत्वपूर्ण वैदिक कर्तव्य है। इससे पूर्वजों को संतोष और वंशजों को जीवन में पूर्णता मिलती है। श्राद्ध करनेवाले, उसका उपदेश देनेवाले, और उसमें भाग लेनेवाले सभी पुण्यफल के अधिकारी होते हैं।

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