Sri Gauranga Virudavali with Hindi Translation | श्री गौरांग विरुदावली PDF

Srigauranga Birudavali | श्री गौरांग विरुदावली
श्री गौरांग विरुदावली गौड़ीय वैष्णव परंपरा में भगवान चैतन्य महाप्रभु (श्री गौरांग) की स्तुति करने वाला एक प्रमुख भक्ति-ग्रंथ है। यह संस्कृत और ब्रजभाषा में रचित श्लोकों या पदों का संग्रह है, जिसमें चैतन्य महाप्रभु के दिव्य गुणों, लीलाओं और उनकी कृपा का गुणगान किया गया है। “विरुदावली” शब्द का अर्थ है “स्तुतियों की श्रृंखला” या “गुणों का वर्णन”।
Language: Sanskrit
Publisher: Haidas Shastri
Published Date:
Size: 3.7MB
Pages: 38
Author: Raghunandan Goswami
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15वीं-16वीं शताब्दी में बंगाल में जन्मे चैतन्य महाप्रभु को भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। उन्होंने “संकीर्तन आंदोलन” (नाम संकीर्तन या भजन-कीर्तन) की शुरुआत की और “हरे कृष्ण” महामंत्र का प्रचार किया।
इसमें चैतन्य महाप्रभु के रूप, प्रेम, करुणा और उनकी अलौकिक लीलाओं का विस्तृत वर्णन है।
“गौरांग सुंदर, नित्यानंद प्रिय, अद्वैताचार्य-हृदय-धन”
(गौरांग सुंदर हैं, नित्यानंद के प्रिय और अद्वैताचार्य के हृदय के धन)।